baaware jiya
बाँवरे से जिया में हलचल है... चुब रहे कांटे से ये हवा के झरोके...... तारे भी आँखों को सुकून न दे रहे....यूँ टीम टिमा रहे..... आज न जाने किस घडी चैन आये..... रहत मिले या ये रात पिघल जाये.... इस बेचैनी में दिल ने अजीब सा पासा फेका..... उसकी धुंदली तस्वीर बनाने लगा और मेरी नसे थमने लगी ... ये हवा के झरोके काटे से चुबने लगे.. बाँवरे से जिया में हलचल बदने लगी.. ओ साथी रे...ये कैसा जादू तेरा..... मखमली सी रात को भी काट न पाऊ मैं.... काट रही ये मुझे हर गुज़रते लम्हे में..... मगर तेरे साथ की आशा ने जोड़े रखा है.... दूर काहे मुझ से यूँ तू है...... इस दिल की जान तू है...... तू संग जो है...तो सूखे पत्ते भी जी उठे.... ये रात भी तारों से सजने लगे..... वरना हर ज़र्रा धोखा देता है..... पत्ते भी उड़ जाते है....तारे भी सो जाते है.... न जा दूर यूँ...ओ साथी रे..... ये कैसा जादू तेरा........ न जा दूर यूँ ..ओ साथी रे....