Ajeeb
न जाने क्यूँ ये ख्याल आया.....
वो जो खुशियों को ढूंड रहे थे तन्हाई में...
वो जो खुशियों को ढूंड रहे थे तन्हाई में...
खुद की उलझनों में खोये थे न जाने कहाँ....
अनजानी सी राहों पे चलते जा रहे थे....
अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ...जो खुशियों को खोज पाए लोगों के संग
उलझनों में न उलझाये इस ज़िन्दगी के ढंग....
चलता तो समय भी है...हमने ज़िन्दगी न जी तो क्या जिया.....
अजीब है ये लोग या फिर में अजीब हूँ...!!!!
अजीब है ये लोग या फिर में अजीब हूँ...!!!!
उस पल में मुस्कराहट ठहर गयी.....
देखा मैंने उहने जब तेज़ भागते हुए....
देखा मैंने उहने जब तेज़ भागते हुए....
अपने ही साए से रेस लगते हुए....
सुबह की चाये भी ठंडी रह गई......उनकी रफ़्तार कुछ कह गई....
सुबह की चाये भी ठंडी रह गई......उनकी रफ़्तार कुछ कह गई....
अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ....
हौले हौले से हर रंग में ढलने की ख्वाहिश रकता हूँ...
हौले हौले से हर रंग में ढलने की ख्वाहिश रकता हूँ...
रफ़्तार से भाग कर जाना कहाँ.....पहुंचना तो खुदा के पास है....
ज़िन्दगी जीने का ये मौका खास है...
चाये के प्यालो में छलकती है वो छोटी छोटी खुशियाँ
रफ़्तार तो समय की भी है....हमने खुशियों की रफ़्तार न पकड़ी तो क्या जिया.....
अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ.....
Ajeeb baat hai, kaha khoya hai snehil??
ReplyDeleteoye...i am the second kinda people i mentioned...:P
ReplyDeletekhoya toh tu rehta...!!!
waah waahh.. keep it up..!!
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