Rab ka banda

रोये काहे तू है रब का बन्दा
काहे बाँधे वो धागे जो बन जाये फन्दा
कोशिश तो कर खुलेगा
इन हवाओं से लिपट कर  तू  भी  बहेगा
महूस होगा तू  भी है ज़िन्दाँ 
काहे रोये तू है रब का  बन्दा
कहता सौ वारी  सौ बातें  ये जहाँ
इनके कहे  तेरा कुछ न  छूटता
पर जो तु रोये इनके केहने पर 
तेरा खुद से नाता टूटता
काहे रोये तू है  रब का बन्दा

जल जाये कागज़ कहानी न जल पाये
लिख ऐसी कहानी पूरा आस्मां कम पड जाये
महसूस होगा तु भी है जिँदा
रोये काहे तू  है रब का बन्दा।।

Comments

  1. बढ़िया! बस 'महसूस' सही करना बाकी है ;)

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  2. अरे वाह छा गए गुरु.

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