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Rab ka banda

रोये काहे तू है रब का बन्दा काहे बाँधे वो धागे जो बन जाये फन्दा कोशिश तो कर खुलेगा इन हवाओं से लिपट कर  तू  भी  बहेगा महूस होगा तू  भी है ज़िन्दाँ  काहे रोये तू है रब का  बन्दा कहता सौ वारी  सौ बातें  ये जहाँ इनके कहे  तेरा कुछ न  छूटता पर जो तु रोये इनके केहने पर  तेरा खुद से नाता टूटता काहे रोये तू है  रब का बन्दा जल जाये कागज़ कहानी न जल पाये लिख ऐसी कहानी पूरा आस्मां कम पड जाये महसूस होगा तु भी है जिँदा रोये काहे तू  है रब का बन्दा।।

Ishqzaaade

* खुदा  के दीदार कि दुआ माँगी थी    और शायद  खुदा ने मोहब्बत कि शक़्ल ओढ़ ली। * तेरे हाँ के इंतज़ार में  तुझ से मोहब्बत बढ़ती गई    जब जब खुद को रोकना चाहा , धड़कने न जाने क्यूँ डरती रही     और तेरे हाँ के इंतज़ार में ये मोहब्ब्त बढ़ती गई। *  तेरी हाँ के बाद , अब ज़िन्दगी जन्नत लगने लगी ,     मोहब्बत के रंग में जो  रमने लगी। *  छत  पर बैठ सारी रात  तेरे संग लम्हों को सजाया है     सूरज की चादर तले ,इस जहाँ कि नज़रों से छुपाया है    * वक़्त की रेत बेफिक्री से फिसलने लगी    मौसम बदलने लगे , मोहब्बत बदलने लगी। * दो पल कि ख़ामोशी हज़ारों एहसास बयान कर गई     बदलते रिश्तों कि गूँज सुना गई।

सच्चा झूठा

 सच्चा झूठा कुछ नहीं  है आँखें  बंद करो तो सब सही है रंग चड़ जाये - तो  इंद्रधनुष भी रंगीन है रंग उड़ जाये - तो बेरंग रात भी हसीन है  सांवली सी शाम में ,सुबह  की धुंद में  ज़िन्दगी दे रही तुझे तोफहे हज़ार पर क़बूल करे दिल वही जिससे उलझने कम हो जाये  न सच कि फ़िक्र न झूठ का ख्याल

वो एक पल

उस पल में  सारा  जहाँ बेगाना लगने लगा ये आस्मां भी  ठगने लगा कल तक बस में था,आज परे भागने लगा चाँद का श्वेत रंग भी आस्मां में घूल गया अमावस्या कहते लोग उसे, पर मेरा एक सहारा -जैसे वो भी धुल गया  ये आस्मां भी  ठगने लगा सारा  जहाँ बेगाना लगने लगा वो पल सारे रंग उड़ा ले गया वृक्ष नदी फूल या हो कलियाँ खालीपन में गूँज रही थी मेरी सिसकियाँ रौशनी के झील में डूब रही मेरी सिसकियाँ खुद से लड़ के निकल पड़े फिर से इस जहाँ को अपना बनाने कि कोशिश में

थारी एक झलक के वास्ता

थारी एक झलक के वास्ता माणे मारी नैणआ   को  चैण णा  दियो रातां णे ताराँ  में ढूँढतो चाँद ढला   तो इंसाणों  में ढूँढतो खारी लहरों सु  मैं  पूछतो रियो और किनारा  माते  ही दिण ढल गियो थारी तस्वीर णा  बदली पर ये आस्मा बदल गियो माणे मारी नैणओं  को  चैण  णा दियो गीली रेता माते  ढूँढतो  रियो थारा पगा रा वा  निशाण थारी एक झलक के वास्ता माणे मारी नैणआ   को  चैण णा  दियो

जश्न-ए-इश्क़

तेरे इश्क़ का रंग चढ़ने लगा है देख  असमान भी रंग बदलने लगा है शर्मा के लाल हो गया मेरे दिल का भी यही हाल हो गया तेरी मुस्कुराहटों  का असर बढ़ने लगा है रग़ों  में खून अब दौड़ने लगा है थकता नहीं तेरे नाम से मेरी  धड़कनो का भी यही  काम हो गया बस तेरे  इश्क़ की मुस्कान ज़िंदा रखे है मुझे वरना साँसे  तो पहेले भी चल रही थी।

आज़ाद

                                               आज़ाद आस्मां के  आँगन  में आज़ादी का  जश्न मानाने आज छोड़ आई पीछे नक़ाबी रिश्ते। ये सागर तालियाँ बजा रहा था , मुझ में विश्वास जगा रहा था। ये साँवला आस्मां और हसीन लगने लगा जब खुद से मुलाकात हुई दिल मुस्कुरा उठा जब लहरों से बात हुई  नक़ाबी  रिश्तों से आज़ाद अब मेरा दिल इन पँछियों से उप्पर उड़ रहा था अपने सपनों  को अब न डूबने दूँगी सूरज करवट ले तो खुद जलूँगी  लौटूँगी  इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने  लौटूँगी  इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने

जगा हूँ सूरज की अंगड़ाई के साथ

जगा हूँ सूरज की अँगड़ाई के साथ अब जीने की उम्मीद भी जगी है सारी रात किनारों पे बैठ सागर की कहानी सुनी है - " बिखरी लहरों को बाँधे रखा हूँ किनारों  से बाँट के अपने एहसास, खुद को ज़िंदा रखा हूँ कितने ही घाव दे इंसान मुझे तड़पाये कोई मौसम कितना भी मुझे न मरने का वो जज़बा ज़िंदा रखा हूँ " सागर की ये कहानी सुन मुशकिलो से लड़ने की हिम्मत आई है ज़िन्दगी में ज़िन्दगी लौट आई है जगा हूँ सूरज की अंगड़ाई के साथ अब जीने कि उम्मीद भी जगी है।