आज़ाद
आज़ाद आस्मां के आँगन में आज़ादी का जश्न मानाने
आज छोड़ आई पीछे नक़ाबी रिश्ते।
ये सागर तालियाँ बजा रहा था ,
मुझ में विश्वास जगा रहा था।
ये साँवला आस्मां और हसीन लगने लगा
जब खुद से मुलाकात हुई
दिल मुस्कुरा उठा जब लहरों से बात हुई
नक़ाबी रिश्तों से आज़ाद अब मेरा दिल
इन पँछियों से उप्पर उड़ रहा था
अपने सपनों को अब न डूबने दूँगी
सूरज करवट ले तो खुद जलूँगी
आज छोड़ आई पीछे नक़ाबी रिश्ते।
ये सागर तालियाँ बजा रहा था ,
मुझ में विश्वास जगा रहा था।
ये साँवला आस्मां और हसीन लगने लगा
जब खुद से मुलाकात हुई
दिल मुस्कुरा उठा जब लहरों से बात हुई
नक़ाबी रिश्तों से आज़ाद अब मेरा दिल
इन पँछियों से उप्पर उड़ रहा था
अपने सपनों को अब न डूबने दूँगी
सूरज करवट ले तो खुद जलूँगी
लौटूँगी इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने
लौटूँगी इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने
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