तिरंगा

कपड़ा श्वेत सा ही था वो
अब  जो केसरी हरे रंगो से मिल कर जी उठा
तिरंगा है मेरा  वो
अशोक चक्र संयम है और देश की शान
तिरंगा  है मेरा वो
मीलों तक बस रहे  इंसानो को हिन्दुस्तानी बनाता
दूर सरहदों पे उन्ही हिंदुस्तानियों के लिए लहराता
कपड़ा श्वेत सा ही था वो
पर अब तिरंगा है मेरा वो
रंग से राग  बन रहा वो देश का
केसरी जूनून , हरा विकास , श्वेत शक्ति , नील प्रगति
गूँज रही ये धरती , दौड़ रहा ये लहू
देश का गौरव है वो
जो कपड़ा श्वेत सा ही था वो
पर अब तिरंगा है मेरा वो

Comments

Popular posts from this blog

शिष्टाचार के नियम

Haste Muskurate

Rab ka banda