salaam-e-shukran

ज़िन्दगी  बीत जाती है ज़िन्दगी को  समझने में
रह जाती है यादें अगर जी  हो ये ज़िन्दगी हमने 
वक़्त के साथियों  को देखो ज़रा 
रात की करवट  सुबह  लाती है 
बरसात की फुहार बहार  लाती है 
 और हम वही उलझे रह जाते - कुछ  गिलो कुछ  शिकवों  को दिल से  लगाए 
न कभी करवट लेते  रात की तरह ,न बहते बारिश की  तरह 
आज  कुछ ऐसा करें की खुद की धड़कने  मुस्कुरा उठे 
गिलों  शिकवो के जालों को साफ करें, सालम-ए -शुक्रन से सबको  माफ़ करें 

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