हमारी लाडली

जश्न की गठरी अपने नन्हे हाथो में
मेरे आँगन  की रौशनी अपनी किलकारियों में
समेटे जब तू आई  - नमन हुआ मैं
उस क्षण से कहता रहा , कहता हूँ हर बार
तू है हमारी लाडली ,
हमारी लाडली लाई बहार

न जाने जग को क्यों तुझ में अँधेरा दिखे 
मेरे लिए तू इस जग का  रोशन सवेरा संग लाई
अपनी कहानी कुछ यूँ लिखेगी
अपने भैय्या को पीछे छोड़ देगी
वो भी गर्व से कह उठेगा ,जो लड़ता था तुझ से हर  बार 
तू है हमारी लाडली ,
हमारी लाडली लाई बहार

मेरी बेटी बनकर ,रिश्तों में रंग भर कर
तूने समझया-
तू न  हो तो माँ न हो, ये जग न हो 
तुने वो शक्ति है पाई - नमन हुआ मैं  
उस क्षण से कहता रहा , कहता हूँ हर बार
तू है हमारी लाडली ,
हमारी लाडली लाई बहार 










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