zindagi abhi baaki hai
कुछ रातें चाँद बिना सजने लगी
कुछ लम्हे न चाहते हुए बी सच होने लगे
कुछ चाहते पीछे छुट रही थी
कुछ लम्हे न चाहते हुए बी सच होने लगे
कुछ चाहते पीछे छुट रही थी
कुछ ख्वाहिशें खिलाफ हो रही थी
फिर एक नई सुबह मैं जिन्गदी जागी है
कह रही मुझ से जिन्गदी अभी बाकी है
कुछ यादें लहरों सी
मचले पल पल
किनारों तक आ के बिखरे हर पल
रुला रही इस दिल को ये यादें
बेवफा हो रही थी हवाएं भी
एक पल में एक सदी समां रही थी
एक पल में एक सदी समां रही थी
ये सदी काटे नहीं कट रही थी
तभी एक नई सुबह में जिन्गदी जागी है
तभी एक नई सुबह में जिन्गदी जागी है
कह रही मुझ से जिन्गदी अभी बाकी है
तारो के सेहर चला गया कोई इंसानों की बस्ती को छोड़
अकेले रह गए हम अजीब था वो मोड़
अजनबी लगने लगा हर चेहरा
फीका लगने लग हर रंग
तभी एक नई रंग में सुबह जागी है
अकेले रह गए हम अजीब था वो मोड़
अजनबी लगने लगा हर चेहरा
फीका लगने लग हर रंग
तभी एक नई रंग में सुबह जागी है
कह रही मुझ से जिन्गदी अभी बाकी है
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