बंजारे बादल

बंजारे बादल यूँही आस्मां से हो के गुज़र रहे थे
किस्से कहानियाँ खुद में  समेटे गुज़र रहे थे
गौर किया  तो खाली थे , कहानियों को पिछले मोड़ पे बरसा चुके
उसी बरसात में पिछले मौसम में एक और कहानी बानी थी
आज वो कहानी भी गुज़र गई बरस  गई ,खली हूँ मैं इन बादलों की तरह
गुज़र रहा हूँ ज़िन्दगी से हो कर , हवाओं की  दिशा में
बंजारे बादल आस्मां में और मैं इस ज़मीन पर
है तलाश नई कहानियों की , नई बरसात की 

Comments

Popular posts from this blog

शिष्टाचार के नियम

Haste Muskurate

Rab ka banda