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Showing posts from January, 2014

वो एक पल

उस पल में  सारा  जहाँ बेगाना लगने लगा ये आस्मां भी  ठगने लगा कल तक बस में था,आज परे भागने लगा चाँद का श्वेत रंग भी आस्मां में घूल गया अमावस्या कहते लोग उसे, पर मेरा एक सहारा -जैसे वो भी धुल गया  ये आस्मां भी  ठगने लगा सारा  जहाँ बेगाना लगने लगा वो पल सारे रंग उड़ा ले गया वृक्ष नदी फूल या हो कलियाँ खालीपन में गूँज रही थी मेरी सिसकियाँ रौशनी के झील में डूब रही मेरी सिसकियाँ खुद से लड़ के निकल पड़े फिर से इस जहाँ को अपना बनाने कि कोशिश में

थारी एक झलक के वास्ता

थारी एक झलक के वास्ता माणे मारी नैणआ   को  चैण णा  दियो रातां णे ताराँ  में ढूँढतो चाँद ढला   तो इंसाणों  में ढूँढतो खारी लहरों सु  मैं  पूछतो रियो और किनारा  माते  ही दिण ढल गियो थारी तस्वीर णा  बदली पर ये आस्मा बदल गियो माणे मारी नैणओं  को  चैण  णा दियो गीली रेता माते  ढूँढतो  रियो थारा पगा रा वा  निशाण थारी एक झलक के वास्ता माणे मारी नैणआ   को  चैण णा  दियो

जश्न-ए-इश्क़

तेरे इश्क़ का रंग चढ़ने लगा है देख  असमान भी रंग बदलने लगा है शर्मा के लाल हो गया मेरे दिल का भी यही हाल हो गया तेरी मुस्कुराहटों  का असर बढ़ने लगा है रग़ों  में खून अब दौड़ने लगा है थकता नहीं तेरे नाम से मेरी  धड़कनो का भी यही  काम हो गया बस तेरे  इश्क़ की मुस्कान ज़िंदा रखे है मुझे वरना साँसे  तो पहेले भी चल रही थी।

आज़ाद

                                               आज़ाद आस्मां के  आँगन  में आज़ादी का  जश्न मानाने आज छोड़ आई पीछे नक़ाबी रिश्ते। ये सागर तालियाँ बजा रहा था , मुझ में विश्वास जगा रहा था। ये साँवला आस्मां और हसीन लगने लगा जब खुद से मुलाकात हुई दिल मुस्कुरा उठा जब लहरों से बात हुई  नक़ाबी  रिश्तों से आज़ाद अब मेरा दिल इन पँछियों से उप्पर उड़ रहा था अपने सपनों  को अब न डूबने दूँगी सूरज करवट ले तो खुद जलूँगी  लौटूँगी  इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने  लौटूँगी  इसी आँगन अपनी कामयाबी का जश्न मानाने

जगा हूँ सूरज की अंगड़ाई के साथ

जगा हूँ सूरज की अँगड़ाई के साथ अब जीने की उम्मीद भी जगी है सारी रात किनारों पे बैठ सागर की कहानी सुनी है - " बिखरी लहरों को बाँधे रखा हूँ किनारों  से बाँट के अपने एहसास, खुद को ज़िंदा रखा हूँ कितने ही घाव दे इंसान मुझे तड़पाये कोई मौसम कितना भी मुझे न मरने का वो जज़बा ज़िंदा रखा हूँ " सागर की ये कहानी सुन मुशकिलो से लड़ने की हिम्मत आई है ज़िन्दगी में ज़िन्दगी लौट आई है जगा हूँ सूरज की अंगड़ाई के साथ अब जीने कि उम्मीद भी जगी है।