piya ji more

[beautiful monsoon for stressed lover]

बदल रहा बादल का  रूप
काले से हो चले ये बादल
पिया जी मोरे और अब  संग ये बादल 
न जाने किस बात पर रूठ रहे

बरखा बरस के ज़मीन पे बिखर रही
मैं खिड़की पर बैठे बैठे,
आंसूओं  की आहट न हुई
धीमे से बहने  लगे
न जाने किस बात पर रूठ  रहे
पिया मोरे , न जाने किस मोड़ पे छूट रहे

दो पल फुर्सत न खोज पा रही
अपने ही पिया से हिचकिचा रही
बूँदों सी हो चली मेरी कहानी
बनती बिखरती,कभी ठहरती
कभी बहता पानी
न जाने किस बात पर रूठ  रहे
पिया मोरे , न जाने किस मोड़ पे छूट रहे

बदल रहा बादल का  रूप
काले से हो चले ये बादल
पिया जी मोरे और अब  संग ये बादल 
न जाने किस बात पर रूठ रहे 

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