Dhoka

सूरज संग दिन चढ़े , वक़्त का कांटा आगे बढे
मिलेगा नए चेहरों से , न मिल पायेगा खुद से
ये जान ले तू ...... तू ही खुद का है
बाकी सब धोखा  है
सब धोखा है

धूमिल से जो बन रही थी एक तस्वीर
तुझे लग रही थी वो अपनी  हीर
बेकाबू हो बांहों मैं भरने को चल पड़ा
और पाया खुद तनहा खड़ा
ये जान ले तु…. तू ही खुद का है
बाकी सब धोखा  है
सब धोखा है

मुस्कुराते मुखौटों  के दिल न होते
तू भी संग मुस्कुरा , पर  दिल न ढूँढ
सच है बस ये आस्मां ये हवाओं का झोंका
ये जान ले तु…तू ही  खुद का है
बाकी सब धोखा है
सब धोखा है…


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