pyar ishq mohbbat

कभी  कहीं यूँही मिले थे वो दिल
आँखों में बातें और खामोश जुबान की महफ़िल
हवा की गुदगुदी ,बारिश की चाहत
कुछ अंजना सा होने की आहट
कहते है मोहब्बत इसे,न पता था......
हर लम्हा खुशियों की लहरों  से सटा था...
बीते  हुए कल की तस्वीर न समझो इसे...
पर हकीकत को झूट्लाये कैसे 
वो  भूल गए हमे और मोहब्बत मेरी हो गयी  तन्हा
जब जब  याद आते  वो लम्हे .....जीता हूँ मैं दूसरा जहाँ.....!!!
करता  हूँ  तुझसे इज़हार इश्क का....
झुकता है सर तेरे आगे....तू है दिलबर  
अनजाना  था वो रिश्ता  और था   मैं बेखबर.....
बीत गए वो लम्हे वो घड़ियाँ न जाने कितनी सदियाँ
फिर भी रहेगा तुझ पर दिल का एतबार
सद्कः करूँ अपने इश्क पे बार बार.....
स्द्कः करूँ अपने इश्क पे बार बार......

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