इंद्रधनुष
मेरी भांजी के कविता प्रतियोगिता के लिए लिखी गई कविता
इंद्रधनुष
बरखा और धुप जब जब संग आई है
इंद्रधनुष आसमां में लाई है
आसमान में मिलते सात रंग , मैं देखती हूँ
देख के इंद्रधनुष के रंग , मैं खुश होती हूँ।
प्रकृति हमारी कितनी सुन्दर है
बरखा ,धुप और बादल सब मिल कर मुस्कुराते है
इंद्रधनुष को लाते है ,
हमे भी मिल जुल कर रहने की बात बतातें है
कोयल भी करती है स्वागत इंद्रधनुष का
अपने गीतों से ,
मैं भी करती हूँ स्वागत इंद्रधनुष का
अपनी कविता से
आओ मिलकर रहते हम सब, हो के खुश
जैस बरखा धुप बादल और इंद्रधनुष
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