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इंद्रधनुष

मेरी भांजी के कविता प्रतियोगिता  के लिए लिखी गई कविता  इंद्रधनुष  बरखा  और धुप  जब जब  संग आई है  इंद्रधनुष आसमां में लाई  है आसमान में मिलते सात रंग , मैं देखती हूँ  देख के इंद्रधनुष के रंग  , मैं खुश होती हूँ।  प्रकृति हमारी कितनी सुन्दर है  बरखा ,धुप और बादल सब मिल कर मुस्कुराते है  इंद्रधनुष को लाते है , हमे  भी मिल जुल कर रहने की बात बतातें है  कोयल भी करती  है स्वागत इंद्रधनुष का  अपने गीतों से , मैं भी करती हूँ स्वागत इंद्रधनुष का अपनी  कविता से  आओ  मिलकर रहते हम सब, हो के  खुश जैस बरखा धुप बादल और इंद्रधनुष  

Kisan Anna data

  किसन हमारे अन्न दाता है ।। हम खाते हैं जो अन्न , वो किसान की मेहनत से आता है नहीं फेकेँगे कभी अन्न को करेंगे किसान की मेहनत को सफल सब स्वस्थ रहे , खाए प्रेम से अन्न, और करें अन्न दाता को नमन।