माँ
माँ तेरी छाँव जब छटेगी , दुनिया की धुप लगेगी
बस तू बरखा बन बनकर बरसते रहना माँ
यूँ तो तेरी कमी हर बूँद से भी न हटेगी
पर तुझे छूकर महसूस कर सकूँगा
इसी तस्सली से मैं सो सकूँगा माँ
बस तू बरखा बन बनकर बरसते रहना माँ
यूँ तो तेरी कमी हर बूँद से भी न हटेगी
पर तुझे छूकर महसूस कर सकूँगा
इसी तस्सली से मैं सो सकूँगा माँ
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