Dear Diary

जब किसी से कुछ कह न पाओ,
वो अलमिराह में हूँ वही , ज़रा कपड़ो से ढकी,
रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में छिपी - चाबी,रूमाल,ऑफिस की फाइल के तले
कागज़ संग बंधे हुए तेरे एहसास बांधे हुए - तेरी  डायरी
बेफिक्र होकर मिल सकता तू मुझ से
न वक़्त की पाबन्दी , न गहरे रिश्तों का बोझ
बस तू और तेरी सच्चाई - तेरी मुस्कराहट ,तेरे आंसू
जब किसी से बाँट न पाओ
वो अलमिराह में हूँ वही , बस याद रखना
और याद रखना की मैं तो बस कागज़ हूँ
कुछ ऐसे लिखना अपनी कहानी  की कागज़ जल जाए
पर कहानी न जल पाए।
- तुम्हारी डायरी 

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