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Showing posts from June, 2016

बंजारे बादल

बंजारे बादल यूँही आस्मां से हो के गुज़र रहे थे किस्से कहानियाँ खुद में  समेटे गुज़र रहे थे गौर किया  तो खाली थे , कहानियों को पिछले मोड़ पे बरसा चुके उसी बरसात में पिछले मौसम में एक और कहानी बानी थी आज वो कहानी भी गुज़र गई बरस  गई ,खली हूँ मैं इन बादलों की तरह गुज़र रहा हूँ ज़िन्दगी से हो कर , हवाओं की  दिशा में बंजारे बादल आस्मां में और मैं इस ज़मीन पर है तलाश नई कहानियों की , नई बरसात की 

रिश्तों की उम्र

रिश्तों की उम्र नहीं होती , वो बूढ़े नहीं होते बस इंसान बूढा हो जाता है और समझ नहीं पाता की वो रिश्ते जो उसकी पहचान थे कब वही रिश्ते उससे अंजान हो गए हर रिश्ता अपने साथ एक ज़िन्दगी लाता है ज़िन्दगी बूढी नहीं होती , बस हम इंसान ज़िन्दा नहीं रहते कोशिश करे अगर हर इंसान - तो रिश्तों की उम्र नहीं होगी वो बूढ़े नहीं लगेंगे - ज़िंदा रहेंगे हम , ज़िंदा रहेंगे वो रिश्ते

आतंक के विररुद्ध

धड़कने  तेज़ होने लगती है ,क्लेश जब होता है दिल मायूस हो उठता है , खून जब बेहता  है पर न बने कमज़ोर न मजबूर क्यूंकि अन्धकार में है वो जो आतंक  को हथियार बनाए अधिकार है हमे की  हम उस आतंक को ठुकराए न खुदा  न कोई दूजा करेगा  तय विश्वास खुद  पर ही कर बढ़ना आगे न आतंक न भय , होगी  शान्ति की जय हर कदम के साथ बनता चल तू निर्भय रह कर  अकेला कोई न  जीत पाया  है हाथों  से  हाथों को मिल कर ही  वो  आतंक  देश  बन पाया है हो एहसास  ये जब हमे एक जूट होगा हर इंसान आतंक के विरुद्ध अकेला रह जायेगा वो आतंक देश मजबूत होगा इंसान ,गूंजेगी इंसानियत की लय हर कदम के साथ एक होते चलें हम विश्वास खुद  पर कर, आगे  बढ़ते  चलें हम जब होगा हर इंसान आंतक के विरुद्ध सोच सकेगा न कुछ और तू -  न हार  न पराजय न आतंक न भय , तब होगी  शान्ति की जय