खता ना थी
यारों के संग चलते हुए न जाने कब वो मोड़ आ गए
कुछ यार आगे बड़ चले , कुछ मुड़ गए , कुछ ठहर गए , उस मोड़ की खता ना थी
ज़िन्दगी ने तो दिए यार , चाहते थी सबकी अलग , सो बिछड़ गए
इस ज़िन्दगी की भी खता ना थी
मिलें पाये हम किसी शहर , किसी लहर - है अब यही दुआ है
हो जाता दिल उदास कभी कभी उनकी याद में , उस दिल की खता न थी
कुछ यार आगे बड़ चले , कुछ मुड़ गए , कुछ ठहर गए , उस मोड़ की खता ना थी
ज़िन्दगी ने तो दिए यार , चाहते थी सबकी अलग , सो बिछड़ गए
इस ज़िन्दगी की भी खता ना थी
बिखरे है हम यूँ मोतियों की तरह , बिखर कर बस रहे एक ही सागर में
वो सागर यूँ विशाल , उस सागर की खता ना थी मिलें पाये हम किसी शहर , किसी लहर - है अब यही दुआ है
हो जाता दिल उदास कभी कभी उनकी याद में , उस दिल की खता न थी
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