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मन की गठरी

मन की गठरी लिए साँझ सवेरे कल कई बातें यादें संग लिये इक्कठा की है कुछ बातें कुछ दिलासे कुछ डर की गांठे कुछ उम्मीदों के धागे सब बंद है इस मन की गठरी में सोचा है , हवाएँ रुके तो खोलूंगा इसे वरना सब बह जाएगा सुकून रह जायेगा  पर वो सुकून भरी रात से भाग रहा बेवजह ये गठरी को लाद रहा इक्कठा कर मुस्कुराहटें मीठी यादें न डर की गांठे नअ दिलासे

परछाई

पानी में परछाई भी अजीब थी धुंदली सी थी मगर  सच्चाई के कुछ करीब थी वो पानी छलका तो मानो , दिल हल्का हो गया छलकी सी आँखों को सहारा मिल गया और बह गए सारे पल ,अब बस एक हलकी सी मुस्कराहट बाकी है परछाई अभी भी धुंदली सी है मगर कुछ साफ़ है - शायद दिल का वो कोना क्यूंकि रंग बदले नहीं आस्मां अभी भी नीला है हवा छु कर  गुज़रे तो गुदगुदी अभी भी करती पर फिर भी नई सी लग रही थी ज़िन्दगी पानी मैं वो परछाई अजीब थी धुंदली  सी थी  मगर  कुछ सच्चाई के करीब थी #water #heart #786snehil #honesttoyourself 

खता ना थी

यारों के संग चलते हुए न जाने कब वो मोड़ आ गए  कुछ यार आगे बड़  चले , कुछ मुड़  गए , कुछ ठहर गए ,  उस मोड़ की खता ना  थी  ज़िन्दगी ने तो दिए यार , चाहते थी  सबकी अलग , सो बिछड़ गए  इस ज़िन्दगी की भी खता ना  थी  बिखरे है हम यूँ मोतियों की तरह ,   बिखर कर बस रहे एक ही सागर में वो सागर यूँ विशाल , उस सागर की खता ना  थी  मिलें पाये हम किसी शहर , किसी लहर - है अब यही दुआ है  हो जाता दिल उदास कभी कभी उनकी याद में  , उस दिल की खता न थी  

Corrupt Ho gaye

जन्म  से हम यूँ  न थे उम्र  के साथ corrupt होते जा रहे हम चहक न पारहे थे उस बचपन  की तरह  हम , उन्ही बचपन के रिश्तों के संग शायद रिश्तों  के रंग गहरे होते जा रहे और गहराई इतनी  कि वो रिश्ते खोते जा रहे डूब रहे वो रिश्ते एक नई ज़मीन कि खोज में पर मैं  मासूम हूँ , जान बूझ कर एहसास हुआ जन्म  से यूँ न  थे उम्र  के साथ corrupt होते जा रहे हम।