ऊन से रिश्ते
उलझे ऊन के गुच्छे
मुझे याद दिलाते है मेरे रिश्तों की
जिन्हे बुनने कि कोशिश करता आ रहा हूँ
एक गाँठ खुलती , एक खुद-ब-खुद उलझ जाती।
दादी का वो आँगन में बैठ
गुठनो को सजा कर
ऊन को सुलझाना याद आता है
दादी ने सुलझा दी ऊनी गठाने
रिश्तों को न संभाल पा रहा कोई
दो पल फुर्सत के मिले
तो किसी आँगन में बैठ रिश्तों कि सारी गाँठें सुलझा ले !!!!
मुझे याद दिलाते है मेरे रिश्तों की
जिन्हे बुनने कि कोशिश करता आ रहा हूँ
एक गाँठ खुलती , एक खुद-ब-खुद उलझ जाती।
दादी का वो आँगन में बैठ
गुठनो को सजा कर
ऊन को सुलझाना याद आता है
दादी ने सुलझा दी ऊनी गठाने
रिश्तों को न संभाल पा रहा कोई
दो पल फुर्सत के मिले
तो किसी आँगन में बैठ रिश्तों कि सारी गाँठें सुलझा ले !!!!
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