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Showing posts from June, 2013

Dekhi hai kya !!

ppl get fascinated to glitz n glamour of metro cities brands showrooms n some could handle it some dont some achieve their dreams midst such distraction some find love pateners (another distraction ) some could balance between personal n professional some find a way of escapism for their failure......and saga continues....!!!! देखी है क्या ! चाँद तारों की चमकती सी बरात, देखो  जैसे लग रही हो कोई रात एक गली थी,  दो कदम के फासले चाँद दूल्हा बना  चमक रहा था, मेरा ख्वाब लिए चमक रहा  था चल पड़े चाँद को जेब में भरने दो कदम  से लग  रहे थे  ये रौशनी के झरने देखी  है क्या ! चाँद तारों की चमकती सी बारात देखी  है क्या ! अपने ही सपनो की परछाई ज़िन्दगी थी जो कभी, संग थी जो अभी अभी सपने खो गए परछाई भी, ये गलियाँ\निगल रही तूझे भी\ दो कदम से लग रहे थे जो ये रौशनी के झरने देखी  है क्या !इनमें अपने ही  सपनो की परछाई देखी  है क्या ! अपने ख्वाबो को जाती डगर देखा था जो चौराहे पे खड़े हो कर एक ...

Dhoka

सूरज संग दिन चढ़े , वक़्त का कांटा आगे बढे मिलेगा नए चेहरों से , न मिल पायेगा खुद से ये जान ले तू ...... तू ही खुद का है बाकी सब धोखा  है सब धोखा है धूमिल से जो बन रही थी एक तस्वीर तुझे लग रही थी वो अपनी  हीर बेकाबू हो बांहों मैं भरने को चल पड़ा और पाया खुद तनहा खड़ा ये जान ले तु…. तू ही खुद का है बाकी सब धोखा  है सब धोखा है मुस्कुराते मुखौटों  के दिल न होते तू भी संग मुस्कुरा , पर  दिल न ढूँढ सच है बस ये आस्मां ये हवाओं का झोंका ये जान ले तु…तू ही  खुद का है बाकी सब धोखा है सब धोखा है…

piya ji more

[beautiful monsoon for stressed lover] बदल रहा बादल का  रूप काले से हो चले ये बादल पिया जी मोरे और अब  संग ये बादल  न जाने किस बात पर रूठ रहे बरखा बरस के ज़मीन पे बिखर रही मैं खिड़की पर बैठे बैठे, आंसूओं  की आहट न हुई धीमे से बहने  लगे न जाने किस बात पर रूठ  रहे पिया मोरे , न जाने किस मोड़ पे छूट रहे दो पल फुर्सत न खोज पा रही अपने ही पिया से हिचकिचा रही बूँदों सी हो चली मेरी कहानी बनती बिखरती,कभी ठहरती कभी बहता पानी न जाने किस बात पर रूठ  रहे पिया मोरे , न जाने किस मोड़ पे छूट रहे बदल रहा बादल का  रूप काले से हो चले ये बादल पिया जी मोरे और अब  संग ये बादल  न जाने किस बात पर रूठ रहे