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Showing posts from May, 2013

Dil hun dhadakta hun

दिखे  जो  हस्ता हुआ - है दिल का एक कोना न दिखे वो जो - है रोना लाखों पलों की निशानियाँ कुछ ख़ास दिलों की कहानियाँ सब बस रही इस दिल में बस ये दिल नहीं अब बस में रोक लूँ खुद को या बह जाने दूँ सारी कहानियाँ कह जाने दूँ और इस दिल को एक ज़िन्दगी जी जाने दूँ।। दिल भर आता है,  आँखों में आंसू ठहर जाते आँखों में ख्वाब है आसुंओं को न रख पाते बह जाने देते यूँही जिंदा हूँ मैं हस्ता  हूँ रोता हूँ दिल हूँ  धड़कता हूँ नई धुप में चल पड़ा हूँ खुशियों का जश्न मानते गमों को पीछे छोड़ते यूँही जिंदा हूँ मैं हस्ता  हूँ रोता हूँ दिल हूँ  धड़कता हूँ

Khushiyon ki zameen

खुशियों की न ज़मीन होती  न आसमान होने को एक पल में  हवा हो जाती रहने को संग सदियाँ बिता देती खुशियों की न ज़मीन होती न आसमान बस इस दिल से निकलती इस दिल से होती ये जवान गहरे सागर से मोती चुन लो या बारिश के बसरते  पानी से ओले हर दिल अपनी ख़ुशी चुनता है बेफिक्र के गुब्बारों से हवाओं में उड़ता है न ज़मीन देखता न असमान बस यूँ ही खुशियों से भरी ज़िन्दगी जीने की चाहत करता है और वो ये जनता है खुशियों की न ज़मीन होती न असमान बस इस दिल से निकलती इस दिल से ही होती ये जवान

wo 30 din wahi

मैं हूँ यही पर अब आस्मां वो नहीं कैलेंडर के वो ३०  दिन वही पर ऋतू  है नई ज़िन्दगी जो जी थी यादें बन गई पर कैलेंडर के वो ३०  दिन वही आजकल बस इतवार को फुर्सत रहती है बाकी वारों में खुद को संवारते थोड़े पैसे कमाते कैलेंडर की ओर देख के मुस्कुराते और कहते हम है यही पर अब वो समां नहीं कैलेंडर के वो ३० दिन वही , पर ऋतू है नई वो दिन जब दिन गिनना आदत न थी खुली फिजाओं सा बहना एक  राहत थी  होती थी दिन दोपहरी शाम बेहिसाब मस्तियाँ  ज़िन्दगी जो जी अब वो यादें बन गई कैलेंडर के वो ३०  दिन वही,पर ऋतू है नई