ishq ko jane bina

इश्क में डूबने को मचल रहा  है दिल
पर इश्क होता है क्या ,ये सोच सोच के
शाम और  सावरे की धुप में पिघल रहा है दिल

हर मोड़ पर प्रेम पंछी  टकरा रहे
जिससे पूछो "सच है ये प्रेम" का डंका बजा रहे
प्रेम के चेहरे  हर घड़ी  बदल रहे
एक का साथ छुटा दूजे के संग निकल पड़े
पर जिससे पूछो "सच है ये प्रेम" का डंका बजा रहे

उम्र की रफ़्तार से घबरा कर
इसी पल में इश्क को पा कर
कह कह कर इश्क जताने वाले भी मिले
वो बेखबर सोचे इश्क की उम्र यही होती
कैसा ये इश्क होता कैसी उसकी छाव होती

और ये दिल बेचारा पिघलता रहा धुप ढलती  रही
पर फिर भी दिल की धड़कने धड़कती रही
इश्क को जाने बिना इश्क में डूबने को मचलती रही


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