aasmani


वो पल जो उस अजनबी के संग हो...
हलचल हो इस दिल में...बिखरे दिल रंग हो....
नीला असमान भी अलग लगे...अलग सा बहे ये पानी..
आसमानी आसमानी 
वो पल था आसमानी...

जल रहा था कोयला...आग मचल रही थी...
धुआं धुआं सा हो रहा था...फिर भी अँखियों ने न मानी...
बेक़रार होकर..रातों को जाग कर....
उस अजनबी को याद करने की ठानी...
और महसूस कुछ ऐसा होने लगा.....
आसमानी आसमानी 
वो पल था आसमानी... 

उड़ा दे असमान तक.....ज़मीन पर भी जन्नत दिखा दे....
हैरत हो सबको...और मुझे अजीब सा मज़ा दे....
गुदगुदाए होले से...कभी धडकनों को बढ़ाये....
सब उस पल की है मन मानी....
आसमानी आसमानी 
वो पल था आसमानी...

प्यार इश्क की बातें तो बहुत सुनी थी....
एहसार करने की बारी अपनी थी....
उलझे धागों सा था मन....
उस अजनबी का चढ़ रहा था रंग....
क्या कहूं...कसे कहूं....सब लग रहा बेमानी..... 
पर आसमानी आसमानी 
वो पल था आसमानी...
     

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