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Showing posts from June, 2011

keh di wo baat jo ab labon se!!!

कह दी वो बात जो अब लबों से दिल उड़ने लगा आस्मां में  दिल ने गोते  लगाये दरिया में छलकी जो बूंदे........वो आंसू बन के बह चली पलकें उठी तो  ज़िन्दगी मुस्कुरा कर बोली न फ़िक्र कर....न ज़िक्र कर....बस इस इश्क पे फक्र कर....... कह दी वो बात जो अब लबों से बदला बदला सा है ये  मौसम.....हलके हलके से बादल भीगा भीगा ये आँगन....सुनेहरा  सा वो पल....... मौसम ये इश्क का...आँगन इस दिल का.... भीगे ये आँगन इश्क के मौसम में.....!!!!!!! है ख़ूबसूरत ये एहसास....है ख़ूबसूरत ये मौसम!!!!! कह दी वो बात जो अब लबों से बरसने लगी इश्क की बूंदे... न फ़िक्र कर........न ज़िक्र कर......बस इन इश्क की बूंदों में भीग कर बहता चल....भीगता चल......मुस्कुराता चल!!!! 

Udaan

ख्वाब पिरोये थे तब इस बात का  गम न था... दूर देखा अब तो आसमां और दरिया का मिलन था... मंजिल इस मिलन में कहीं खो गयी..... रास्ते न जाने कहाँ उलझ गए.... साहिलों की चादर या आसमां का घर...... कठिन  हो चली  थी ये   डगर....... पर कश्ती जो साहिल छोड़े लौट के ना आये... मौके जो आये दौबारा न मिल पाए.... उड़ने दो ख्वाबों के पंख लगा कर..... आसमां दरिया के मिलन का भरम  भुला कर... एक जूनून बस में कर, खुद को खो कर!!!! ये उड़ान जी कर ये उड़न जी कर