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Showing posts from October, 2016

नमन

वो तारों की चमकती चादर मेरे आस्मां को चमका रही थी मेरी सोच ही उस आस्मां को मेरा बना रही थी  वरना तो  वो बादलों के बंजारे टोपे बेफिक्री में उड़ रहे थे  चारों दिशाओं की गूँज थी पर वो मेरी शान्ति ही थी जो उस  गूँज को पहचान  दे रही थी  वरना तो अदृश्य सी हवाओं  की धारा  बह रही थी मुस्कुरा कर नमन है उस रचियता  को  बरस रही जिसकी कृपा हर पल है , मेरी सोच ही इस वक़्त को पल बना रही वरना तो सूरज डूबा  रोज़ ही करता है  और वक़्त यूँही बीत जाता 

सौदे में सुकून

कहीं सीने में जब  धड़कन की  रफ़्तार तेज़ हो उठीती खून की हलचल बहते बहते हज़ारों ख्याल संग लाती दिल में वो हज़ारों ख्याल वो खून आते है पर सौदे में अक्सर सुकून और चैन के ये सौदा न होता तो धड़कने रूक जाती वो हलचल थम जाती दो लम्हा बीता दिए बिना सुकून और चैन के और थक कर जब ज़मीन पर टूटा तो एक हवा का झोंका कुछ दे गया मुस्कराहट की  वो पोटली , और हज़ारों नए ख्याल नया खून इस बार सौदे के लिए न सुकून था न चैन झाँका तो पाया सब वहम था न सौदा था न कोई पोटली में  मुस्कराहट और कहीं न गया था मेरा सुकून मेरा दिल मेरा ख्याल और मेरा ही था वो खून अब हलचल भी कह कर होती है आहिस्ता आहिस्ता दिल  में बहती है ।