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Showing posts from November, 2015

परछाई

पानी में परछाई भी अजीब थी धुंदली सी थी मगर  सच्चाई के कुछ करीब थी वो पानी छलका तो मानो , दिल हल्का हो गया छलकी सी आँखों को सहारा मिल गया और बह गए सारे पल ,अब बस एक हलकी सी मुस्कराहट बाकी है परछाई अभी भी धुंदली सी है मगर कुछ साफ़ है - शायद दिल का वो कोना क्यूंकि रंग बदले नहीं आस्मां अभी भी नीला है हवा छु कर  गुज़रे तो गुदगुदी अभी भी करती पर फिर भी नई सी लग रही थी ज़िन्दगी पानी मैं वो परछाई अजीब थी धुंदली  सी थी  मगर  कुछ सच्चाई के करीब थी #water #heart #786snehil #honesttoyourself 

खता ना थी

यारों के संग चलते हुए न जाने कब वो मोड़ आ गए  कुछ यार आगे बड़  चले , कुछ मुड़  गए , कुछ ठहर गए ,  उस मोड़ की खता ना  थी  ज़िन्दगी ने तो दिए यार , चाहते थी  सबकी अलग , सो बिछड़ गए  इस ज़िन्दगी की भी खता ना  थी  बिखरे है हम यूँ मोतियों की तरह ,   बिखर कर बस रहे एक ही सागर में वो सागर यूँ विशाल , उस सागर की खता ना  थी  मिलें पाये हम किसी शहर , किसी लहर - है अब यही दुआ है  हो जाता दिल उदास कभी कभी उनकी याद में  , उस दिल की खता न थी