Rab ka banda
रोये काहे तू है रब का बन्दा काहे बाँधे वो धागे जो बन जाये फन्दा कोशिश तो कर खुलेगा इन हवाओं से लिपट कर तू भी बहेगा महूस होगा तू भी है ज़िन्दाँ काहे रोये तू है रब का बन्दा कहता सौ वारी सौ बातें ये जहाँ इनके कहे तेरा कुछ न छूटता पर जो तु रोये इनके केहने पर तेरा खुद से नाता टूटता काहे रोये तू है रब का बन्दा जल जाये कागज़ कहानी न जल पाये लिख ऐसी कहानी पूरा आस्मां कम पड जाये महसूस होगा तु भी है जिँदा रोये काहे तू है रब का बन्दा।।