ज़िन्दगी से मिला हूँ आज अपनी
मिला हूँ आज अपनी ज़िन्दगी से संग हज़ार बातें मिल गई। चाँद सज गया रात सज गई, पर न जाने रात की अंगड़ाई कब टूट गई ज़िन्दगी न जाने कब हमसे रूठ गई। और सारे चमकीले पल तारो से सुबह के आस्मां में - सफ़ेद सागर में डूब गए पर ज़िन्दगी को जानना अभी बाकी है हज़ारों बातें अभी बाकी है बातों बातों में बताया इस ज़िन्दगी ने - रूठी नहीं हूँ बस थोड़ी सी जुदा हूँ तुमसे तारो को डूबा दिया कह रहे सूरज को जगा दिया न देख रहे तब लगा ज़िन्दगी को जानना अभी बाकी है हज़ारों बातें अभी बाकी है !!!