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Showing posts from June, 2012

DO PAL

हम दो दिल है...दो बातें करने को.... दो पल ढून्ढ रहे ढेरों बातें होती यूँ तो...पर है जब रूबरू तो सोच रहे क्या कहूँ.. कह भी दूँ या चुप रहूँ...!!!! इन दो आँखों से दो दिल जुड़ रहे... दो हाथों के सहारे.. दो किनारे मुड़ रहे... चुप के से न जाने कब उसका रंग मुझ पे चड़ने लगा.. मेरी धडकनों की ओर बड़ने लगा।... दो रंग घुल रहे थे..एक असमान रंगने को...दो पल ढून्ढ रहे!!!! ढेरों रंग छलकाते यूँ तो...पर है जब रूबरू रंगों ने भी अकेला छोड़ दिया..और क्या कहूँ...!!! मुस्कुराहटों में कहानिया लिख रहे थे....... चलते चलते उन कहानियो को गुन गूना रहे थे... दो कदम चल के...दो कदम थम के....दो दिल मिल रहे थे!!! जादू हवाओं में कैसा हो रहा था।. बहते बहते गुदगुदा दे... असमान का जैसे कोई संदेसा दे.. हम जो न कह पाए वो हवाएं कहने लगी.. दो लव्ज़ कहने को...दो लव्ज़ सुनने को...दो पल ढून्ढ रहे!!!!!

Mang lun udhar

बेरंग पत्तों की आहट सुनी सुनी  सी लग रही थी वो टूट कर बिखर रहे थे शाखाओं से गिर के उड़ रहे थे ठोकर लगी ,होश संभाला तो पाया  वो वो पत्ते मेरी ज़िन्दगी  के आयेने है जो टूट कर बिखर रही थी..... फ़र्क सिर्फ इनता था मेरी ज़िन्दगी में  जान बाकि थी और उन पत्तों में  जूनून मुरझाये तो भी आंसू नहीं , मौसम की छाया में फिर खिलने की  चाह  नई मांग लूँ  उधार ये फितूर फिर हो मुश्किलें  चाहे  बेहिसाब पिघल जाएगी हर मुश्किल जल उठेगी अगर वो जूनून की आग !!!!! असमान की कोशिश थी सागर को नीले नकाब से वो  ढँक दे पर सागर की कोशिश थी की वो नकाबों में न ढले... ठोकर लगी होश समभाला तो पाया सागर की मुश्किलें मेरी ज़िन्दगी से कम  न  थी .... फर्क  सिर्फ इतना था मेरी ज़िन्दगी हार मान चुकी थी..और सागर की कोशिशो का अंत न था... लहरों में  खुद को बाँट कर..किनारों तक आने की कोशिश वो करता रहा... सदियाँ बिता दे...उस नीले नकाब को उतारने  की कोशिश में....पर न  थकत...

charcha hui

Inspired from songs like kajra re(BnB) ,chokra jawan re(ishqzade), pritam pyare(Rowdy Rathore) etc!! :) उसने चौक पे कुछ ऐसे मोहब्बत ज़ाहिर की... हम तो चुप रह गए.. मगर पूरे शहर ने चर्चा की...!!! ज़ालिम आशिक है...पर चुभन भी देता है... जैसे गुलाबों में कटा भी कोई रहता है.... चुभे तभी तो याद आता है.... और ये आशिक नाम का कटा इस दिल को सताता है... हम तो चुप रह गए....दर्द सह गए... मगर पूरे शहर ने चर्चा की.... कह ले मुझे कटा या कसूर तेरे दर्द का.. आशिक हूँ  तेरा, तेरी डांट में भी इश्क़ का रस ढूंड लूँ ज़माने की परवाह न करूँ तू भी मेरे इश्क में डूब जा अरे  जा  जा ज़ालिम  आशिक मेरे तेरी नियत न जाने कब बदल जाए..... नियत का पता नहीं  पर जो तू मेरे इश्क में  डूब जाये तेरी दिल्ली को महल बना दूं... चौक पे तेरे चाँद को ला दूं.. ज़माने की हवा भी बदल जाएगी अँखियों में  सुरमा जो  लगाएगी तो  चर्चा  फ़िल्मी सितारों सी होगी ... इस चौक पे क्या पूरे बम्बई  नगरिया म...