DO PAL
हम दो दिल है...दो बातें करने को.... दो पल ढून्ढ रहे ढेरों बातें होती यूँ तो...पर है जब रूबरू तो सोच रहे क्या कहूँ.. कह भी दूँ या चुप रहूँ...!!!! इन दो आँखों से दो दिल जुड़ रहे... दो हाथों के सहारे.. दो किनारे मुड़ रहे... चुप के से न जाने कब उसका रंग मुझ पे चड़ने लगा.. मेरी धडकनों की ओर बड़ने लगा।... दो रंग घुल रहे थे..एक असमान रंगने को...दो पल ढून्ढ रहे!!!! ढेरों रंग छलकाते यूँ तो...पर है जब रूबरू रंगों ने भी अकेला छोड़ दिया..और क्या कहूँ...!!! मुस्कुराहटों में कहानिया लिख रहे थे....... चलते चलते उन कहानियो को गुन गूना रहे थे... दो कदम चल के...दो कदम थम के....दो दिल मिल रहे थे!!! जादू हवाओं में कैसा हो रहा था।. बहते बहते गुदगुदा दे... असमान का जैसे कोई संदेसा दे.. हम जो न कह पाए वो हवाएं कहने लगी.. दो लव्ज़ कहने को...दो लव्ज़ सुनने को...दो पल ढून्ढ रहे!!!!!