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Showing posts from March, 2012

wo makadi mashoor ho gai

मानो जैसे वो मकड़ी मशहूर हो गई.... मैं अपने जाल में फसा था....और वो अपना जाल बून रही थी..... मैं तन्हा बैठा था....वो अपने में मग्न थी..... खुछ इस तरह आकर्षित कर रही थी वो... जैसे पत्तो पे ओस की बुँदे न हो....हीरे हो वो.... मकड़ी न हो..ध्रुव सितारा हो वो..... मानो जैसे वो मकड़ी मशहूर हो गई.... मेरे लिए तो चार दिवारी थी और एक खिड़की का नज़ारा था... पर उस जान के लिए तो बस एक कोने का सहारा था... फिर भी आंसू थे आँखों में मेरे....और वो थी बेपरवाह सी... आँखों को छुपा लिया उसने कहीं..और अपने में मग्न थी.... मेरे दिमाग पे छा गई हो जैसे मानो वो मकड़ी मशहूर हो गई.... न खबर उसे अपनी चर्चा की..न गम उसे अपनी तन्हाई का... हर दम लगा कर जाल बून रही थी वो....अपने में मग्न थी वो.. न खोट किसी के लिए न नकाब किसी झूठे एहसास का... फिर भी गिरना लिखा है  खुदा ने हर कदम पे उसके... हम तो फिर भी इंसान है...  सो गिरेंगे तभी तो संभलेंगे..और यूँ तन्हा बैठ कर उस मकड़ी की जंग को जियेंगे जैसे मानो वो मकड़ी मशहूर हो गई!!!! बैठा था मैं यूँही.....

Shikto noyona

shikto noyona in bengali means bheegi bheegi aankhen.Now enjoy!!!!! कैसे ये लम्हे फिसल रहे न बस चल रहा न जोर.... तुझे रोक लूँ....बस एक चाहत है... तू जो मेरी राहत है.....तू हो संग मेरे.... पर अब संग मेरे, मेरे शिक्तो नोयोना. चाँद भी रूप बदल के आ रहा...आधा पिघला सा है....आधा खुद को छुपा रहा.... पर  है तो चाँद.. सो तारों संग असमान सजा रहा..... तू भी लौट आ..दिल तोह है वही..... मिल के सजा लेंगे अपना असमान.... बस ये  एक चाहत है.... तू जो मेरी राहत है...हो संग मेरे..... पर अब संग मेरे, मेरे शिक्तो नोयोना ।। मौसम भी लौटा गया इन फूलों को रंगों की सियाही.... लौट आई है फिजा परदेस हो कर.... पर मुझे मेरी मुस्कराहट का इंतज़ार है....ताक रहा दरवाजों पर.... ले के संग आएगी तू मेरी मुस्कुराहटें....... बस ये एक चाहत है.... तू जो मेरी राहत है...हो संग मेरे..... पर अब संग मेरे, मेरे शिक्तो नोयोना ।।

aasmani

वो पल जो उस अजनबी के संग हो... हलचल हो इस दिल में...बिखरे दिल रंग हो.... नीला असमान भी अलग लगे...अलग सा बहे ये पानी.. आसमानी आसमानी  वो पल था आसमानी... जल रहा था कोयला...आग मचल रही थी... धुआं धुआं सा हो रहा था...फिर भी अँखियों ने न मानी... बेक़रार होकर..रातों को जाग कर.... उस अजनबी को याद करने की ठानी... और महसूस कुछ ऐसा होने लगा..... आसमानी आसमानी  वो पल था आसमानी...   उड़ा दे असमान तक.....ज़मीन पर भी जन्नत दिखा दे.... हैरत हो सबको...और मुझे अजीब सा मज़ा दे.... गुदगुदाए होले से...कभी धडकनों को बढ़ाये.... सब उस पल की है मन मानी.... आसमानी आसमानी  वो पल था आसमानी... प्यार इश्क की बातें तो बहुत सुनी थी.... एहसार करने की बारी अपनी थी.... उलझे धागों सा था मन.... उस अजनबी का चढ़ रहा था रंग.... क्या कहूं...कसे कहूं....सब लग रहा बेमानी.....  पर   आसमानी आसमानी  वो पल था आसमानी...