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Showing posts from January, 2012

kabhi kabhi

कभी कभी ये असमान यूँ नीला लगे जैसे सागर की छत हो... कभी कभी ये सागर की लहरें यूँ लगें जैसे बादलों की करवट हो.... कभी कभी ये दिल धड़कने के लिए मचलता है.... कभी कभी मचलने के लिए धड़कता है...... और मैं बेबस खड़ा मुस्कुरा रहा था....खुद को गले लगा रहा था..... कभी कभी इन तितलियों के रंगों को समझू मैं.. कभी कभी उन्ही रंगों को जीवन  में तलाशू मैं..... कभी कभी इस रात की चादर में खुद को छुपा लू... और कभी  सूनी राहों में एक पल छाया मांग लू...... हर हरकत में कुछ सवाल थे....पर अकेला था दिल..सो धड़कता जा रहा था.... और मैं बेबस खड़ा मुस्कुरा रहा था...... कभी कभी एहसास हो प्यार का तो दिशाएं संग झूमे... और कभी  इन्ही  दिशाओं में गुम हो जाये दिल..... कभी कभी तन्हाईओं में सुकून मिले.. और कभी दिल पुकारे अपने सहारे को.... इस मन के हर रंग अजीब है.....कभी कभी यूँ सोच रहा था मैं.... साथ ही मुस्कुरा रहा था.....खुद को गले लगा रहा था......

Sooraj ke sang wo sham

उस दिन का सूरज न जाने डूबते डूबते क्या कह गया..... इन सासों को धडकनों से उलझा गया.... बहका सा ये मन बिखर सा गया.. न जाने वो डूबता सूरज क्या कह गया.. हर नब्स की जान भी थक चुकी थी... तूफ़ान से लड़ रहे हो कुछ यूँ मेरी धड़कने चल रही थी... कुछ सोचता था ये मन....कुछ कहता न.... हर बात में नया सा बहाना ढूँढता रहता.. बस यूँही उदास था मैं...कुछ सोच कर.. तलाशता रहा मैं कुछ जवाब.. सवालों की शक्ल भी धुंदली सी थी.... बेचैन सा मन न जाने क्या सह रहा था... हर घडी अलग दिशा में बह रहा था.. पर न जाने क्यूँ ऐसा लगा... वो डूबता सूरज कुछ कह रहा था.... अपने ही ख्याल पर फिर हस पड़ा मैं..... अपनी उलझनों के लिए सूरज को कोस रहा था... बेवजह सूरज की ख़ामोशी को लव्ज़ों मैं तोल रहा था.. अजीब है मन...ये है दिल...ये धड़कन.. या वो लम्हा अजीब था...जब बूझ रहा था सूरज सागर की लहरों से.... खूबसूरत था मंज़र कहते है लोग... पर मेरा जहाँ शायद इस बूझते सूरज को देख कर उदास था... शायद .....शायद पर ही वो शाम ढल गई.... उस दिन का सूरज न जाने डूबते डूबते क्या कह गया.....

Muskan

हर मुस्कान के दो माईने है... कभी वो ख़ुशी कभी गम के आईने है.. जो पहचानो तुम इस नकाब को.. समझो कलाकार हो तुम....... खो गए इनकी परछाइयो में कहीं.... समझो नादान हो तुम... हर  वो दिल जो अज़ीज़ है करता है यूँ कभी कभी..... ख़ुशी तो संग बाट लेता...पर दर्द को छुपाता है...  जो महसूस करो तुम इस एहसास को.... समझो आशिक  हो तुम.... अगर न समझे ये  माईने.... तो ज़िन्दगी को  समझना बाकि है.... ये जान लो तुम..... आस्मां भी तारों की कहानी छुपाता है... सूरज की बाहों में बेदाग मुस्कुराता है..... हर ज़र्रे के दो एहसास होते है.... कभी वो ख़ुशी कभी वो गम के पास होते है.... मुस्कुरा कर हमने भी दर्द छुपा लिए.... दुआ है इस दिल की...जब भी मिलो हमसे... इस नकाब को पहचान लो तुम....!!!