Local Love
Imagine a lovestory set in hustle buslte life of local trains of Mumbai. The packed masses in train.and a tresspasser describes their love वो मिले न जाने कहाँ कब कैसे भीड़ में खोये सोये तन्हाई में कसे रोज़ मिलना बिछड़ना ढूँढना ऐसे राजा रानी का प्यार हो जैसे आँखों में बातें, इशारे रोज़ की आदत... प्यारी सी हसी, हसी के बदले हसी,इनकी रोज़ की शरारत...... ये हसी थी मचलती भीड़ कहीं फसी..... पर हम तो मुसाफिर थे...मुस्कुरा कर पलट लिए... बीते दिन हफ्ते महीने....मंजिल वही रास्ते वही...किरदार भी वही....!!! हमने तो सोचा था प्रेम कहानी है....आगे बढेगी... पर न रजा बड़ा न रानी बड़ी... दोनों की मुस्कान अभी भी वही खड़ी काहे का इश्क...काहे की मोहब्बत....कौन से किस्से... ये तो किरदार है ही ज़रा हट के.... अजीब परिभाषा ये प्यार को देते... हस्ते मुस्कुराते सफ़र बिता देते.... अपनी दूरिया न घटाते पर हम तो मुसाफिर थे...मुस्कुरा कर चल देते....!!!!!!