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Showing posts from May, 2011

Local Love

Imagine a  lovestory set in hustle buslte life of  local trains of Mumbai. The packed masses in train.and a tresspasser describes their  love वो मिले  न जाने कहाँ कब कैसे भीड़ में खोये सोये तन्हाई में कसे रोज़ मिलना  बिछड़ना ढूँढना ऐसे राजा  रानी का प्यार हो जैसे आँखों में बातें, इशारे रोज़ की आदत... प्यारी सी हसी, हसी के बदले हसी,इनकी रोज़ की शरारत...... ये हसी  थी मचलती भीड़ कहीं फसी..... पर हम तो मुसाफिर थे...मुस्कुरा कर पलट लिए... बीते दिन हफ्ते महीने....मंजिल वही रास्ते वही...किरदार भी वही....!!! हमने तो सोचा था प्रेम कहानी है....आगे बढेगी... पर न रजा बड़ा न रानी बड़ी...  दोनों की मुस्कान अभी भी वही खड़ी काहे का इश्क...काहे की मोहब्बत....कौन से किस्से... ये तो किरदार है ही ज़रा हट के.... अजीब परिभाषा ये  प्यार  को देते... हस्ते मुस्कुराते सफ़र बिता देते.... अपनी दूरिया न घटाते पर हम तो मुसाफिर थे...मुस्कुरा कर चल देते....!!!!!!

Ajeeb

न  जाने क्यूँ ये ख्याल आया..... वो जो खुशियों को ढूंड रहे थे तन्हाई में... खुद की उलझनों में खोये थे न जाने कहाँ.... अनजानी सी राहों पे चलते जा रहे थे.... अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ... जो खुशियों को खोज पाए लोगों के संग उलझनों में न उलझाये  इस ज़िन्दगी के ढंग.... चलता तो समय भी है...हमने ज़िन्दगी न जी तो क्या जिया..... अजीब है ये लोग या फिर में अजीब हूँ...!!!! उस पल में मुस्कराहट ठहर गयी..... देखा मैंने उहने जब तेज़ भागते हुए.... अपने ही साए से रेस लगते हुए.... सुबह की चाये भी ठंडी रह गई......उनकी रफ़्तार कुछ कह गई.... अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ.... हौले हौले से हर रंग में ढलने की ख्वाहिश रकता हूँ... रफ़्तार से भाग कर जाना कहाँ.....पहुंचना तो खुदा के पास है.... ज़िन्दगी जीने का ये मौका खास है... चाये के प्यालो में छलकती है वो छोटी छोटी खुशियाँ  रफ़्तार तो समय की भी है....हमने खुशियों की रफ़्तार  न पकड़ी  तो क्या जिया..... अजीब है ये लोग या फिर मैं अजीब हूँ.....