उम्र ,गिनती और गणित
उम्र ,गिनती और गणित घूम रहा ये धरती का गोल एक हिसाब वहाँ से बाकी गणित की किताब से गिनती निकली अपनी सेना ले के अनगिनत सिपाही उसके हमारी उम्र तो बस खुशाल ज़िन्दगी थी जब तक न मिली थी इस सेना से अब उम्र भी एक संख्या सिपाही है एक बरस में मोर्चा अगली संख्या को मिलती है आज फिर से कसम खाते है उम्र को संख्या सिपाही से आज़ाद कराएँगे उम्र हमारी बिना गिनती के , बस उसे एक खुशाल ज़िन्दगी बनाएंगे