Corrupt Ho gaye
जन्म से हम यूँ न थे उम्र के साथ corrupt होते जा रहे हम चहक न पारहे थे उस बचपन की तरह हम , उन्ही बचपन के रिश्तों के संग शायद रिश्तों के रंग गहरे होते जा रहे और गहराई इतनी कि वो रिश्ते खोते जा रहे डूब रहे वो रिश्ते एक नई ज़मीन कि खोज में पर मैं मासूम हूँ , जान बूझ कर एहसास हुआ जन्म से यूँ न थे उम्र के साथ corrupt होते जा रहे हम।