सच्चा झूठा
सच्चा झूठा कुछ नहीं है आँखें बंद करो तो सब सही है रंग चड़ जाये - तो इंद्रधनुष भी रंगीन है रंग उड़ जाये - तो बेरंग रात भी हसीन है सांवली सी शाम में ,सुबह की धुंद में ज़िन्दगी दे रही तुझे तोफहे हज़ार पर क़बूल करे दिल वही जिससे उलझने कम हो जाये न सच कि फ़िक्र न झूठ का ख्याल