lamhe
रात के वो लम्हे आज भी याद है जब चाँद को भी होश न था बेखबर था सारा आस्मां बेखबर थी हर धड़कन यूँही किनारों पे बैठे रात ढल गई लहरों से लहरें मिल गई हम दो दिल बेखबर थे तारों की चादर ओढ़े एक हुए जा रहे थे एक दूजे में घुलते जा रहे दो दिल आज भी याद है वो फिजाओं का यूँ छु के गुज़रना सारे ख्यालों को संग बहा ले जाना हम दो दिल बेखबर थे एक अलग आस्मां बुन रहे थे बिना कुछ कहे एक दूजे को सून रहे थे ख्वाबों को नहीं अपनी मोहब्बत को जी रहे थे रात के वो लम्हे आज भी याद है साथ बीताये वो लम्हे आज भी याद है